Assessment of Learning

Assessment of learning

भाषा सीखने का आकलन – हिन्दी

बच्चों की भाषा का आकलन करने के लिए हमें मुख्य रूप से इसके दो पक्षों को देखा जाना चाहिए। इसमें पहला है – समझ कर पढ़ना (Reading Comprehension) और दूसरा है – भाषा के संदर्भ / शब्दावली तथा व्याकरण। Assessment of Learning के इस लेख में भाषा (हिन्दी) के आकलन के वास्तविक तरीकों पर चर्चा की गई है। जो राष्ट्रीय शैक्षिक एवं अनुसंधान परिषद (NCERT), नई दिल्ली द्वारा जारी  सीखने के प्रतिफल (Learning Outcomes) पर आधारित है। Assessment of learning पर लेख लिखने का औचित्य इसी बात पर निहित है कि पूरे भारत भर में 2017 से शिक्षा के स्वास्थ्य की जांच ‘सीखने के प्रतिफल’ के आधार पर हो रही है और 2017 एवं 2021 में स्कूली शिक्षा के बच्चों की उपलब्धि की जांच के लिए जो सर्वे NCERT द्वारा की गई है, उसके परिणाम बहुत चिंताजनक है। ये दिए आंकड़ों से पूरी तरह स्पष्ट होती है-

Assessment of children

Assessment

 

 

 

 

 

 

 

ये सभी आंकड़े हमें सोचने पर विवश करती है कि आखिर इसके कारण क्या हैं। (जबकि स्कूल से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक पूरी शिक्षा व्यवस्था बहुत ही योग्य एवं प्रशिक्षित लोगों के हांथों में हैं। इन कारणों की जांच पड़ताल हम एक अलग लेख में करेंगे) अभी हम आकलन के उन तरीकों विशेषकर प्रश्नों की संरचना पर चाहे वह रचनात्मक (Formative Assessment) आकलन के लिए हों या समेकित आकलन  (Summative Assessment) के लिए हों, विचार करेंगे।

Assessment of Learning in Hindi के प्रश्नों की परंपरागत संरचना के उदाहरण –

Assessment Language

इस चित्र में देखें तो तीनों बहुविकल्पीय प्रश्न  जो कि बच्चों के अर्धवार्षिक परीक्षा में पुछे गए थे, के जवाब बच्चे ने बिलकुल सही दिया है, और उस बच्चे को आकलनकर्ता निश्चित ही पूरे अंक देंगे। इससे आकलनकर्ता एवं बच्चे का अभिभावक को निश्चित ही प्रसन्नता होगी कि बच्चे ने सही जवाब देकर पूरे अंक प्राप्त किया है। लेकिन यहाँ यह सोचने की बात कि ये उत्तर पहले से पढे हुए किसी कहानी / पैराग्राफ को याद करके दिया है या उत्तर देने से ठीक पहले किसी कहानी या पैराग्राफ पढ़कर दिया है। दोनों ही स्थिति के अलग-अलग मायने है। यदि दूसरी स्थिति अर्थात उत्तर देने से ठीक पहले पढ़कर उत्तर दिया है तो इतना तो कहा जा सकता है कि पढ़कर पुछे गए प्रश्नों के उत्तर स्वयं से  खोजकर लिखते हैं। हालांकि भाषाई कौशल का आकलन के लिए प्रश्नों की संरचना पर सोचना होगा।

अब सवाल उठता है कि Assessment of Learning के लिए इस तरह के प्रश्न आकलनकर्ताओं द्वारा क्यों पुछे जाते हैं। इसके जवाब के लिए हमें बच्चों के लिए लिखे गए पाठ्यपुस्तक में दिए गए अभ्यासों की सूची पर दृष्टिपात करना होगा।

Questions फॉर Assessment

आपने दोनों ही (अर्धवार्षिक परीक्षा एवं पाठ्यपुस्तक ) प्रश्नों की संरचना को देखा । अब इन प्रश्नों की संरचना  एवं प्रकृति पर विचार करेंगे तो आप आसानी से इस निष्कर्ष पर पहुँच सकते हैं कि इस तरह के प्रश्नों से बच्चों के किसी भी भाषाई दक्षताओं एवं कौशलों की जांच नहीं हो रही है। क्योंकि उपरोक्त सभी प्रश्नों को कोई भी बच्चा आकलन के कुछ दिन पहले रट कर जवाब दे सकता है। अर्थात बच्चे के बारे में अनुमान नहीं लगा सकते हैं कि बच्चे में समझकर  पढ़ने की दक्षता है या नहीं (हो सकता है बच्चे में पढ़ने की दक्षता हो)। लेकिन आकलन के लिए पुछे गए प्रश्नों की इस तरह की संरचना से यह बताना मुश्किल है कि बच्चे समझ कर पढ़ना जानते हैं।

Assessment of Learning in Hindi में अब हम ये देखेंगे कि आखिर बच्चों में समझ कर पढ़ना में किस तरह के कौशलों की अपेक्षा की जाती है। इसके लिए हम प्राथमिक शिक्षा के लिए निर्धारित सीखने के प्रतिफल के कुछ उदाहरणों से समझेंगे –

सीखने के प्रतिफल (भाषा में बच्चे) –

सुनी या पढ़ी हुई रचनाओं (हास्य, साहसिक, सामाजिक आदि विषयों पर आधारित कहानी, कविता आदि) की विषयवस्तु, घटनाओं, चित्रों और पात्रों शीर्षक आदि के बारे में बातचीत करते हैं / प्रश्न पुछते हैं / अपनी स्वतंत्र टिप्पणी देते हैं / अपनी बात के लिए तर्क देते हैं / निष्कर्ष निकालते हैं। 

उपरोक्त सीखने के प्रतिफल को ध्यान से पढ़ें तो इसके तीन भाग स्पष्ट रूप से देख सकते हैं। ये तीन हिस्से हैं-

  1. पहले भाग में भाषा सिखाने के विधा है- कहानी एवं कौशल
  2. दूसरे भाग में वे विषयवस्तु हैं जिसके माध्यम से हमें भाषा के कौशलों को विकसित किया जाना है- विषयवस्तु, घटनाएँ, चित्र, पात्र और शीर्षक। एवं
  3. तीसरे भाग में उन कौशलों का जिक्र है जिसे विकसित किया जाना है- बातचीत करना, प्रश्न पुछना, स्वतंत्र टिप्पणी देना, अपनी बात के लिए तर्क देना तथा निष्कर्ष निकाल पाना।

उपरोक्त सीखने के प्रतिफल से ये स्पष्ट है कि जो बच्चे किसी कहानी – कविता के विषयवस्तु घटनाओं, चित्रों, पात्रों एवं शीर्षक आदि पर आधारित बातचीत कर पाते हों, प्रश्न पूछ सकते हों, स्वतंत्र टिप्पणी दे सकते हों, अपनी बात के लिए तर्क दे सकते हों, निष्कर्ष निकाल पाते हों तो कह सकते हैं कि बच्चे में समझ कर पढ़ने  (Reading Comprehension) की दक्षता है। अतः हमें यह देखना होगा कि प्रश्नों की संरचना इस तरह हो कि बच्चों द्वारा दिए उत्तर में उनके स्वतंत्र टिप्पणी / तर्क / राय / निष्कर्ष आदि निकल कर आता हो।

एक उदाहरण से देखते हैं कि हिन्दी में अससेस्समेंट ऑफ लर्निंग का आकलन बहुविकल्पीय प्रकार के प्रश्न के लिए क्या हो सकता है।

प्रश्न: नीचे दिए पैराग्राफ पढ़कर उत्तर दें-

“हैलो। मैं हेमा हूँ।  क्या आपको पता है, मुझे सबसे ज्यादा क्या करना पसंद है? मुझे अपने परिवार और दोस्तों के साथ ऐतिहासिक स्थलों पर घूमना पसंद है। पिछले साल गर्मियों  की छूटियों के दौरान, मैं हैदराबाद घूमी और चारमीनार एवं गोलकुंडा किला देखा। इस वर्ष मैं आग्रा गई और ताजमहल को देखकर बहुत खुश हुई। हर बार मैं एक नए स्थान का दौरा करती हूँ और नए-नए दोस्त बनाती हूँ। (स्रोत: राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वे 2017 में पुछे गए प्रश्न )

गोलकुंडा और आगरा में समान बात क्या है?

  • अ. दोनों आगरा में स्थित है।
  • आ. दोनों ऐतिहासिक स्थल हैं ।
  • इ. वे केवल घूमने के स्थल हैं।
  • ई. वे हैदराबाद में स्थित हैं ।

(आप पाएंगे कि यदि बच्चे ‘आ’ को अपना उत्तर चुनते हैं तो उनके जवाब में तीन चीजें शामिल दिखता है- पहला उनहोंने पैराग्राफ को ध्यान से पढ़ा है। दूसरा दोनों को ऐतिहासिक स्थल के रूप में पहचानता है और तीसरा जो सबसे महत्वपूर्ण है कि बच्चे ने निष्कर्ष निकाला कि दोनों स्थल ऐतिहासिक स्थल है।)

भाषा में सीखने का आकलन के लिए NCERT द्वारा चयनित एक और  सीखने के प्रतिफल के लिए पूछे गए प्रश्न को देखते हैं।

प्रश्न – नीचे दी गई कहानी पढिए-

‘मेरे साथ कोई नहीं खेलता’

स्कूल छूटने में देर थी। सब बच्चे खेल रहे थे। एक लड़का जिसका नाम राजू था। वह भी उनके साथ खेलने के लिए गया। लेकिन राजू के साथ कोई नहीं खेला। उसे बहुत बुरा लगा थोड़ी देर में टन – टन – टन की आवाज  हुई । सब बच्चे टनटन सुनकर अपने-अपने घर चले गए। राजू भी घर आ गया। उसका मन किसी भी काम में नहीं लग रहा था। मम्मी ने पूछा “तुम इतनी उदास क्यों हो?” उसने कहा “मम्मी मेरे पास कोई नहीं खेलता” मम्मी ने कहा “इसमें उदास होने की क्या बात है।  कल तुम अपने दोस्तों को कहना कि वे तुम्हें अपने खेल में शामिल करे।“ अगले दिन राजू स्कूल गया और अपने दोस्तों से बोला “- मैं भी तुम्हारे साथ खेलूँगा” उसके दोस्त उसका हाथ पकड़ कर उसे खेल के मैदान में ले गए। वह भी खेलने लगा। उस दिन वह बहुत खुश हुआ।

राजू की परेशानी सुनने के बाद माँ  ने उसे

  • सजा दी
  • सलाह दी
  • प्यार किया
  • प्रशंसा की

ऊपर  पूछे गए प्रश्न को देखें तो  प्रश्न में ‘सलाह’ शब्द का उपयोग किया गया है जबकि पैराग्राफ में इस शब्द का उपयोग कहीं नहीं किया गया है। अब यदि बच्चे (ख) को अपना उत्तर चुनते हैं तो नीचे दिए सीखने का प्रतिफल की जांच होती है।

Learning Outcome फॉर Assessment

जब हम बच्चों की भाषा का आकलन करते हैं, प्रश्नों की संरचना पर ध्यान देना होगा कि इससे सीखने के किस प्रतिफल का आकलन हो रहा है। रट कर जवाब देने वाले  प्रश्नों का कक्षा प्रक्रिया में तो कक्षा में स्थान होना ही नहीं चाहिए।  इसके लिए हम अगले लेख ‘ कक्षा शिक्षण, सीखने के प्रतिफल एवं आकलन के मध्य संबंध’ में समझने का प्रयास करेंगे कि राष्ट्रीय उपलब्धि परीक्षण / सर्वे (NAS) में आखिर पूरे देश के बच्चों का परिणाम आशा एवं अपेक्षा के अनुरूप क्यों नहीं आ रहा है।

https://fdocuments.net/document/how-to-use-learning-outcomes-and-assessment-criteria.html

 

By rstedu

This is Radhe Shyam Thawait; and working in the field of Education, Teaching and Academic Leadership for the last 35 years and currently working as a resource person in a national-level organization.

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