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Teachers’ Problem-Solving Key: गणित सीखने का नया नजरिया

Teachers’ Problem-Solving Key वास्तव में गणित सिखाने और सीखने का एक नया नजरिया प्रस्तुत करता है। हाल ही में अपनी संस्था में आयोजित एक क्षमतावर्धन कार्यशाला में मुझे इस दृष्टिकोण को व्यवहार में देखने और समझने का अवसर मिला। दिलचस्प बात यह है कि प्रारम्भिक शिक्षा के बाद मैं कभी गणित का नियमित विद्यार्थी नहीं रहा, लेकिन शायद यही कारण था कि गणित को लेकर मेरे भीतर एक अलग तरह की जिज्ञासा हमेशा बनी रही। कार्यशाला के दौरान जब भी कोई नई अवधारणा सामने आती, मुझे बार-बार वे पल याद आते जब बच्चों के साथ काम करते हुए गणित की समस्याओं को हल करने की कोशिश करता था — ठीक वैसे ही जैसे Teachers’ Problem-Solving Key में सुझाया गया है — कि शिक्षक स्वयं समस्या-समाधान की प्रक्रिया में शामिल होकर बच्चों के सीखने को बेहतर दिशा दे सकते हैं।

बुनियादी साक्षरता एवं इबारती सवाल

बुनियादी साक्षरता एवं इबारती सवाल (Foundational Literacy and Word Problems) हम सब जानते हैं कि प्राथमिक कक्षाओं में गणित के प्रति बच्चों की जिज्ञासा बहुत स्वाभाविक होती है। फिर भी, अक्सर यह देखा गया है कि जब बच्चे इबारती सवाल (Word Problems) का सामना करते हैं, तो वे उलझ जाते हैं। आमतौर पर हमारी राय होती है कि यदि बच्चा सवाल हल नहीं कर पा रहा है, तो इसका कारण यही है कि वह पढ़ नहीं सकता। इसे हम सीधे तौर पर FL अर्थात Foundational Literacy की समस्या मान लेते हैं। इस सोच के साथ हम बिना गहराई में गए ही अगले कदम बढ़ा लेते हैं।

लेकिन अनुभव कुछ और भी कहता है। कई बार ऐसे बच्चे, जिन्हें पढ़ना भली-भाँति आता है, वे भी सवाल पढ़ते ही शिक्षक से पूछ बैठते हैं – “सर, इसमें जोड़ना है या घटाना?” यह स्थिति इस ओर संकेत करती है कि समस्या केवल पढ़ने–लिखने की नहीं है, बल्कि समस्या को समझने और समाधान की दिशा तय करने की क्षमता से जुड़ी हुई है, जिसे इस Teachers’ Problem-Solving Key के माध्यम से हम समझने का प्रयास करेंगे।

4 Steps of Problem Solving

यही वह बिंदु है जहाँ गणितज्ञ जॉर्ज पोल्या का दृष्टिकोण अत्यंत उपयोगी सिद्ध होता है। पोल्या ने समस्या समाधान के लिए चार सरल किन्तु महत्वपूर्ण चरण बताए हैं,  ये चरण केवल गणित ही नहीं, जीवन की किसी भी समस्या के समाधान में सहायक हो सकते हैं।

गणितज्ञ जॉर्ज पोल्या का दृष्टिकोण हमें यह समझने में मदद करता है कि गणित शिक्षा केवल संख्याओं और सूत्रों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह बच्चों में सोचने, तर्क करने और समस्याओं को हल करने की क्षमता विकसित करने का माध्यम है। जब बच्चे किसी समस्या का समाधान ढूँढने का प्रयास करते हैं, तो वे केवल उत्तर ही नहीं खोजते, बल्कि सोचने की एक पद्धति भी सीखते हैं। इसी संदर्भ में प्रसिद्ध गणितज्ञ जॉर्ज पोल्या (George Polya) ने समस्या समाधान की चार सीढ़ियाँ (Four Steps of Problem Solving) बताई हैं। यह पद्धति न केवल गणित के लिए उपयोगी है, बल्कि जीवन की अन्य समस्याओं को हल करने में भी सहायक है।

यदि हम चाहते हैं कि गणित विषय पर कार्य करते हुए प्राथमिक स्तर के बच्चों के लिए सीखना और भी आसान हो, तो जॉर्ज पोल्या के बताए चार चरणों के साथ हम दो अतिरिक्त चरण (सुझावात्मक) भी जोड़ सकते हैं।  चित्र में कुल 6 चरणों को उद्देश्य के साथ नीचे दिया गया है-

George Polya Steps Table

 

 

चरण 1 : समस्या को समझना (Understand the Problem)

Teachers’ Problem-Solving Key को समझने की शुरुआत इसके पहले चरण अर्थात ‘समस्या को समझना’ से करते हैं। इबारती सवाल के साथ ही हमें समझना होगा कि पढ़ पाने वाले बच्चे भी ऐसा सवाल क्यों करते हैं? कि इसमें जोड़ना है या घटाना है?

समस्या का सही समाधान तभी संभव है जब बच्चा उसे ठीक से समझे। कई बार विद्यार्थी बिना सवाल को पढ़े ही हल करना शुरू कर देते हैं और गलतियाँ कर बैठते हैं। इसलिए पहला कदम है – सवाल को ध्यान से पढ़ना, यह समझना कि क्या पूछा गया है और कौन-कौन सी जानकारी दी गई है।

उदाहरण: चार  पक्षी और दो गाय  हैं। कुल पैरों की संख्या कितनी होगी?
यहाँ हमें केवल पैरों की संख्या गिननी है, न कि जानवरों की।

चरण 2 : योजना बनाना (Devise a Plan)

जब समस्या स्पष्ट हो जाए, तब उसे हल करने की योजना बनाना ज़रूरी है। यह योजना अलग-अलग तरीकों की हो सकती है – जोड़, घटाव, गुणा, भाग या चित्र बनाना। योजना बनाते समय बच्चों को यह सोचने की आदत डालना चाहिए कि कौन-सा तरीका सबसे उपयुक्त होगा।

उदाहरण: पक्षियों के पैर अलग गिनें और गायों के पैर अलग गिनें, फिर दोनों को जोड़ें।

चरण 3 : योजना को लागू करना (Carry out the Plan)

अब बच्चे को अपनी योजना पर अमल करना होता है। यानी, जो भी तरीका चुना है, उसी के अनुसार गणना करनी है।

उदाहरण:

  • 4 पक्षी × 2 पैर = 8 पैर
  • 2 गाय × 4 पैर = 8 पैर
  • कुल = 8 + 8 = 16 पैर
चरण 4 : उत्तर की जाँच करना (Look Back)

अक्सर बच्चे उत्तर निकालते ही रुक जाते हैं, जबकि पोल्या का चौथा कदम कहता है कि उत्तर को दोबारा जाँचो—क्या गणना सही हुई है? क्या सवाल का वही उत्तर निकला है जो पूछा गया था? इस सावधानी एवं अभ्यास से बच्चों में आत्मविश्वास विकसित होते हैं।

उदाहरण: 8+8 = 16, यानी उत्तर सही है।

अब इसे एक और उदाहरण से समझते हैं-

सवाल

“एक पेंसिल की कीमत 5 रुपये है। अगर 4 पेंसिल खरीदें तो कुल कितने रुपये देने होंगे?”

चरण  1: समस्या को समझना (Understand the Problem)

तो हमें सबसे पहले यह समझना है कि सवाल हमसे क्या पूछ रहा है।

  • हमें दिया गया है कि 1 पेंसिल = 5 रुपये।
  • हमें कुल 4 पेंसिल खरीदनी हैं।
  • सवाल पूछ रहा है – कुल कितने रुपये देने होंगे?

यानी, हमें यह जानना है कि 4 पेंसिल की कुल कीमत क्या होगी।

चरण  2: योजना बनाना (Devise a Plan)

अब सोचते हैं कि इसे हल कैसे करेंगे।

  • अगर हम एक-एक करके जोड़ें: 5 + 5 + 5 + 5 तो उत्तर मिलेगा।
  • लेकिन यह बार-बार जोड़ने जैसा है।
  • सोचो, बार-बार जोड़ना न पड़े ऐसा कोई तरीका है क्या? (यहाँ बच्चों को सोचने का अवसर दें, भले ही वे अपेक्षित उत्तर तक न पहुंचे, यदि बच्चे इस सवाल का कोई जवाब न दें तो आप बताएं-
  • इससे आसान तरीका है → गुणा करना।

अर्थात योजना है: 5 रुपये × 4 पेंसिल = कुल रुपये

चरण  3: योजना को लागू करना (Carry out the Plan)

अब योजना को लागू करते हैं।

  • 5 रुपये × 4 पेंसिल = 20 रुपये।

यानी, 4 पेंसिल खरीदने पर हमें 20 रुपये देने होंगे।

चरण  4: उत्तर की जाँच करना (Look Back)

बच्चों, अब हम यह देखेंगे कि हमारा उत्तर सही है या नहीं।

  • अगर हम जोड़ का तरीका अपनाएँ: 5 + 5 + 5 + 5 = 20 रुपये।
  • और गुणा का तरीका अपनाएँ: 5 × 4 = 20 रुपये।

(अब पहले बार-बार जोड़ कर जो उत्तर मिला था उसे इसका मिलान करते हुए बच्चों का ध्यान आकृष्ट करें कि बार-बार जोड़ना या गुणा करना दोनों एक ही बात है)

दोनों तरीकों से एक ही उत्तर आया – 20 रुपये।
इसका मतलब है कि हमारा उत्तर बिल्कुल सही है।

इस प्रक्रिया से मिली सीख को बच्चों के सामने दोबारा रखें। इस तरह-

इस उदाहरण से हमने सीखा कि—

  • पहले सवाल को ध्यान से पढ़ना चाहिए।
  • फिर यह सोचना चाहिए कि कौन सा तरीका अपनाएँ।
  • उसके बाद हल करना चाहिए।
  • और अंत में उत्तर की जाँच करनी चाहिए।

यही Georg Polya की चार सीढ़ियाँ हैं जो हमें समस्या हल करने का सही तरीका सिखाती हैं।

https://www.academy.vic.gov.au/resources/polyas-problem-solving-process

निष्कर्ष

पोल्या की यह चार-चरणीय पद्धति (समस्या को समझना, योजना बनाना, योजना को लागू करना और उत्तर की जाँच करना) विद्यार्थियों को केवल गणितीय समस्याएँ हल करना नहीं सिखाती, बल्कि जीवन में आने वाली कठिनाइयों से जूझने का व्यावहारिक तरीका भी सिखाती है। यदि हम प्राथमिक स्तर से ही बच्चों को इस ढंग से सोचने की आदत डालें, तो वे आगे चलकर आत्मनिर्भर, तार्किक और आत्मविश्वासी समस्या समाधानकर्ता बन सकते हैं।

इस तरह बच्चों को Polya’s Four चरण  के ज़रिए समस्या-समाधान की आदत पड़ती है और वे व्यवस्थित तरीके से सोचने लगते हैं। यही गणित शिक्षण का उद्देश्य भी है।

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By rstedu

This is Radhe Shyam Thawait; and working in the field of Education, Teaching and Academic Leadership for the last 35 years and currently working as a resource person in a national-level organization.

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