Assessment of Language Skillsभाषाई कौशलों के आकलन Assessment of Language Skills के लिए हमें बच्चों से पुछे गए प्रश्नों की संरचना महत्वपूर्ण होता है। इस लेख में भाषाई कौशलों के आकलन के लिए उपयोग की गई प्रश्नों के विश्लेषण करते हुए आकलन के तरीकों पर विचार की गई है ।

Assessment of Language Skills

भाषाई कौशलों के आकलन Assessment of Language Skills के लिए हमें बच्चों से पुछे गए प्रश्नों की संरचना महत्वपूर्ण होता है। राज्यों में संचालित शिक्षा विभाग बच्चों के भाषाई कौशलों का आकलन Assessment of Language Skills समय-समय (मासिक-अर्धवार्षिक-वार्षिक) पर करते रहती है। इस लेख में राज्य के एक प्रमुख अकादमिक संस्था द्वारा प्राथमिक एवं माध्यमिक शालाओं में अध्ययनरत बच्चों के भाषाई कौशलों के आकलन के लिए उपयोग की गई प्रश्नों के विश्लेषण करते हुए आकलन के तरीकों पर विचार की जा रही है। इसमे कक्षा 5 के बच्चों का आकलन प्रपत्र का (विषय-भाषा, कक्षा 5) एक संक्षिप्त विश्लेषण प्रस्तुत है- Assessment of Language Skills

बॉक्स में दिए प्रश्नों की प्रकृति एवं बच्चे द्वारा दिए उत्तर को ध्यान से देखें। सभी प्रश्नों पर 1-1 अंक निर्धारित है। यदि बच्चों द्वारा दिए गए उत्तर के आधार पर इन्हें 3 में से 3 अंक अवश्य प्राप्त हो जाएगा। और हम खुश हो सकते हैं कि बच्चे ने शत प्रतिशत अंक प्राप्त किया है।

लेकिन भाषाई क्षमता के संदर्भ में इस पर निम्नांकित बिन्दुओं के आधार पर कुछ प्रश्नों के माध्यम से विचार किया जा सकता है। आखिर इन प्रश्नों के माध्यम से बच्चों के किस Assessment of Language Skills भाषाई क्षमताओं की जांच  की जा रही है। ये प्रश्न हैं-

विश्लेषण के लिए प्रश्न 

  1. क्या ये प्रश्नों की शृंखला पुस्तक में दिए अभ्यास के प्रश्नों से लिया गया है?
  2. क्या इसके उत्तर पाठ के किसी खास अनुच्छेद से जस का तस देख कर या याद करके दिया जा सकता है।
  3. यदि अध्यापन के समय / अध्यायपन के बाद शिक्षक ने सभी प्रश्नों के उत्तर ब्लेकबोर्ड पर लिखकर सभी बच्चों को लिखवा दिया है?
  4. यदि प्रश्नों को अभ्यास में दिए प्रश्नों से लिया गया है, तो क्या अध्यापन के समय इन प्रश्नों के उत्तर बच्चों ने स्वयं पाठ को पढ़ कर खोजा है?
  5. क्या ये सवाल राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (NAS) जैसे राष्ट्रीय स्तर के आकलन में पूछा जा सकता है?

मान लेते हैं कि उपरोक्त पहले से तीसरे प्रश्न का उत्तर हाँ है। तब कहा जा सकता है कि इन प्रश्नों के माध्यम से बच्चे की किसी भी Assessment of Language Skills भाषाई क्षमता की जांच नहीं हो रही है। बच्चे ने इसे रटकर दिया है। यहाँ ये कहना पूरी तरह उचित नहीं होगा कि बच्चे ने स्मरण के आधार पर जवाब दिया है। क्योंकि रटने (Rot Learning) और स्मरण (memory) में अंतर होता है। इसे हम एक अन्य लेख में स्पष्ट करने का प्रयास करेंगे।

समेकित आकलन में 

अब उपरोक्त में से चौथे प्रश्न का जवाब हाँ है। तब हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं।

बच्चे में किसी टेक्स्ट को पढ़कर प्रश्न का उत्तर खोज लेने की समझ है। यहाँ फिर भी इसे भाषाई कौशल Language Skills की श्रेणी में रखने में दिक्कत है। बच्चे ने यहाँ केवल एक शब्द को ढूंढ कर उत्तर दिया है। हाँ इतना कहा जा सकता है कि बच्चे में धारा प्रवाह पढ़ लेता होगा। ये प्रश्न अर्ध्यवार्षिक परीक्षा में पूछा गया था।  जिसे सतत एवं समग्र मूल्यांकन के दो महत्वपूर्ण तरीकों में से एक योगात्मक या समेकित आकलन की श्रेणी में रखा जाता है। इस आधार पर ये नहीं कहा जा सकता कि-

पाठ का अध्ययन करते समय बच्चे ने स्वयं अपनी समझ के आधार पर उत्तर खोजा रहा होगा । क्योंकि समेकित आकलन के समय जांचकर्ता के सामने बच्चे का सिर्फ जवाब होता है, प्रक्रिया नहीं।

रचनात्मक (Formative Assessment) आकलन
इस आकलन के दौरान भी इस तरह के प्रश्नों से किसी भाषाई क्षमता का आकलन नहीं होता।

अब उपरोक्त में से पांचवे प्रश्न का उत्तर तो निश्चित ही नहीं में होगा। क्योंकि राष्ट्रीय स्तर के लिए प्रश्नों के निर्माण कर्ता को ये पता ही नहीं होता कि किस राज्य के बच्चों के पाठ्यपुस्तक में किस कहानी या कविता के माध्यम से भाषा सिखाई जा रही है। हालांकि सभी राज्यों में एक ही पाठ्यपुस्तक को अपनाने से ऐसा हम नहीं कह सकेंगे।  इसके बावजूद इस तरह के पुछे गए प्रश्नों से बच्चों के किसी भाषाई कौशल का आकलन / परीक्षण मुश्किल ही है।

इसका एक तर्क ये भी दिया जा सकता है कि राष्ट्रीय स्तर के आकलन / सर्वे का उद्देश्य बच्चों को व्यक्तिगत फीडबैक देना न होकर राष्ट्रीय / राज्य स्तर पर शिक्षा के स्वास्थ्य की जांच करना होता है। जिसे ‘सीखने का आकलन Assessment of Learning’ कहते हैं। जबकि स्कूली स्तर पर Census Exam का उद्देश्य प्रत्येक बच्चों के सीखने में आ रही कठिनाइयों को जानना होता है। जिसे ‘सीखने के लिए आकलन Assessment for Learning’ कहते हैं। इस प्रकार सीखने का आकलन, सीखने के लिए आकलन दो महत्वपूर्ण आकलन के उद्देश्य / तरीके हैं। एक अन्य आकलन ‘सीखने के रूप में आकलन Assessment as Learning’ भी हैं। इन सबका हम एक अन्य लेख में विस्तार से चर्चा करेंगे। इसमें उस पर भी चर्चा करेंगे कि भाषाई कौशलों की जांच के लिए प्रश्नों की संरचना कैसी होगी।

उपरोक्त अर्धवार्षिक  में पुछे गए प्रश्न

उपरोक्त अर्धवार्षिक परीक्षा में पुछे गए प्रश्न (बॉक्स 1) बच्चों की भाषाई कौशलों की जांच के लिए उचित नहीं है। इससे केवल बच्चे की रटने की क्षमता की ही जांच की जा सकती है। अर्थात इस तरह के प्रश्न सावधिक परीक्षा / समेकित आकलन का हिस्सा नहीं हो सकता । हाँ, इन प्रश्नों का अध्यापन के दौरान जरूर इस्तेमाल किया जा सकता है। वह भी सिर्फ ये जानने के लिए कि बच्चे ने पाठ को ध्यान से पढ़ रहा है या नहीं।

तो, अब ये सवाल उठता है कि सावधिक परीक्षा / समेकित आकलन के दौरान ये कैसे पता करें कि बच्चे में ‘समझ कर पढ़ने’ का कौशल है?  जिससे कि शिक्षक को बच्चे के साथ आगे के कार्यों की रणनीति में मदद मिलती रहे।

समझते हुए पढ़ना

अब बात करते हैं कि बच्चों में ‘समझते हुए पढ़ने’ की क्षमता की जांच कैसे करें? अब हमें पुनः सवाल उठाना होगा कि ‘समझ कर पढ़ने’ में कौन-कौन से भाषाई कौशल होते हैं। भाषाई कौशलों की पहचान के लिए हम ‘सीखने के प्रतिफल (Learning Outcomes)’ के दस्तावेज़ का सहारा लेंगे। ये पूरी तरह भाषाई कौशलों की जांच के लिए तैयार किए गए हैं।  इसे नीचे दिए एक ‘सीखने के प्रतिफल’ का उदाहरण से समझने का प्रयास करते हैं-

Assessment of Language under Learning Outcomes
Assessment of Language under Learning Outcomes

उपरोक्त ‘सीखने के प्रतिफल’ को ध्यान से देखें तो इसके तीन हिस्से साफ-साफ दिखते हैं-

  1. पहला – भाषाई कौशल विकसित करने की विधा अर्थात – कविता और कहानी ।
  2. दूसरा – उपरोक्त विधाओं के किन-किन हिस्सों पर बच्चे का ध्यान आकृष्ट कराना है जैसे – विषयवस्तु, घटनाओं, चित्रों और पात्रों, शीर्षक आदि। और
  3. तीसरा महत्वपूर्ण हिस्सा जो हमें बताता है कि बच्चे में कौन-कौन से भाषाई कौशलों का विकास करना होगा अर्थात – शीर्षक के बारे में बातचीत करते हैं / प्रश्न पुछते हैं  / अपनी स्वतंत्र टिप्पणी देते हैं / अपनी बात के लिए तर्क देते हैं / निष्कर्ष निकालते है।

अगले लेख में हम उपरोक्त सीखने के अधिगम पर आधारित आकलन के लिए (कुछ प्रश्नों के माध्यम से) बच्चों में ‘समझते हुए पढ़ने’ की क्षमता विकास की जांच (चाहे वह रचनात्मक आकलन Formative Assessment हो या योगात्मक आकलन Summative Assessment)  के लिए प्रश्नों की संरचना कैसी हो? पर विचार करेंगे।

By rstedu

This is Radhe Shyam Thawait; and working in the field of Education, Teaching and Academic Leadership for the last 35 years and currently working as a resource person in a national-level organization.

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